चार साल बाद फिर ट्रेवल एजेसी संचालक को जान की धमकी
- इंटरनेशनल कॉलिंग से 15 लाख की डिमांड
- घर के बाहर से बढ़ाई सुरक्षा व्यवस्था
- वर्ष 2017 में लारेंस गुर्गों ने दी थी जान की धमकी
जोधपुर, साल 2017 में शहर में कुख्यात अपराधी लारेंस विश्रोई का रंगदारी वसूलने के लिए काफी आतंक मचा था। इस बीच में रंगदारी के खेल में ही इलेक्ट्रानिक व्यवसायी वासुदेव सिंधी की हत्या की गई थी। लारेंस के गुर्गों ने रंगदारी के लिए डॉ. सुनील चांडक, शास्त्रीनगर में एक कारोबारी और ट्रेवल एजेंसी के संचालक मनीष जैन को कॉलिंग के माध्यम से धमकियां दी थी। तत्कालीन पुलिस ने त्वरित कार्रवाईयां करते लारेंस सहित 20से ज्यादा लोगों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया था। अब एक बार फिर ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले मनीष जैन को इंटरनेशनल कॉलिंग कर रंगदारी की बात सामने आई है। रूपए मांगने वाला अपना बकाया बता रहा है।
जबकि मनीष जैन का किसी से लेन देन का कोई विवाद नहीं होना सामने आया है। इंटरनेशनल कॉलिंग करने वाले वर्चुुअल कॉलिंग से 15 लाख की डिमांड की है। अन्यथा अंजाम भुगतने को तैयार रहने को कहा है। मनीष जैन की तरफ से अब फिर शास्त्रीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है।
एसीपी पश्चिम नूरमोहम्मद ने बताया कि न्यू पावर हाऊस रोड स्थित सेक्टर 7 एक्सटेंशन इंद्रा विहार के सामने रहने वाले ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले मनीष जैन पुत्र कैलाशचंद्र जैन की तरफ से रिपोर्ट दी गई है। उसके अनुसार किसी ने उन्हें इंटरनेशनल नंबर से वाटअसप कॉल कर बकाया रूपयों की मांग की। जबकि सामने आया कि उनका किसी से कोई बकाया नहीं है। सामने वाले शख्स ने तीन चार बार कॉल किया है। वर्चुअल नंबर को कॉलिंग के चलते पुलिस अब इसमें साइबर एक्सपर्ट की मदद लेकर पता लगाने का प्रयास कर रही है।
सूत्रों के अनुसार कॉलर ने मनीष जैन से 15 लाख की डिमांड की है। अन्यथा परिणाम भुगतने को कहा है। कॉलर ने रूपयों का इंतजाम जल्द करने को कहा है। मगर उसने जगह या किसे देने है यह नहीं बताया। फिलहाल इस प्रकरण में पुलिस के उच्च अफसर तफ्तीश में जुटे हैं।
उल्लेखनीय है कि तत्कालीन पुलिस आयुक्त अशोक राठौड़ के समय वासदेव हत्याकांड के बाद पुलिस आयुक्त अथक परिश्रम के बाद लारेंस गैंग के गुर्गों को पकड़ऩे में सफलता हासिल की थी। तब भी डॉक्टर सुनील चांडक, मनीष जैन और शास्त्रीनगर एक अन्य कारोबारी को जान की धमकियां दी गई थी। उनसे रंगदारी डिमांड के केस प्रतापनगर, चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड एवं शास्त्रीनगर थाने में दर्ज हुए थे।
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