जोधपुर, कोरोना का फैलाव रोकने के लिए प्रदेश में जारी लॉक डाउन में बसों के परिवहन पर रोक के बावजूद पाली से जैसलमेर के बीच एक बस धड़ल्ले से चलती रही। बस संचालक ने पाली के जिला कलेक्टर की आईडी से फर्जी तरीके से पास बनवा रखा था। कई दिन से जारी इस फर्जीवाड़े का देचू पुलिस ने भंडाफोड़ किया। पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर बस को जब्त कर लिया। लॉकडाउन की बंदिशों के बीच पाली से रवाना हुई बस 225 किलोमीटर का सफर तय कर देचू तक पहुंच गई, लेकिन रास्ते में किसी ने उसे रोका नहीं।
ग्रामीण पुलिस अधीक्षक अनिल कयाल ने बताया कि देचू थाना क्षेत्र में एक निजी बस को सुबह संयुक्त चैकिंग के दौरान पकड़ा। संदेह होने पर बस को तहसीलदार व थानाधिकारी ने नाका पॉइंट पर रुकवाया। बस के ड्राइवर व कंडक्टर ने पाली से जैसलमेर बस परिवहन की अनुमति बताई। इस पर अधिकारियों को संदेह हुआ। सवारियों से बात की तो पता चला कि पाली से आए हैं। सख्ती से पूछताछ की तो ड्राइवर व कंडक्टर ने फर्जी पास बनाना स्वीकार कर लिया। ये पास सोजत सिटी पाली से बनाए थे। लॉकडाउन की अवहेलना कर 56 यात्रियों को पाली से जैसलमेर ले जाया जा रहा था। इस मामले में पुलिस ने कालू पाली निवासी बस ड्राइवर सलीम व तेजाराम जाट को गिरफ्तार किया। एसपी ने कार्रवाई में शामिल थाना अधिकारी हनुमानाराम बिश्नोई, हेड कांस्टेबल विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं वाहन चालक नारायण प्रकाश को पुरस्कृत करने की घोषणा की।
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राज्य सरकार के त्रिस्तरीय जन अनुशासन गाइड लाइन की दिशा निर्देशों में निजी बसों द्वारा यात्रियों के परिवहन पर पूर्णतया प्रतिबंध है। बताया जा रहा है कि यह बस पूर्व में भी कई बार पाली से जैसलमेर के बीच में सवारियों को ले जा चुकी है। बस जब्त करने के बाद इसमें सवार 56 लोगों के सामने संकट खड़ा हो गया। ये लोग कुछ घंटों तक वहीं सडक़ किनारे बैठे रहे। बाद में कुछ निजी वाहनों के जरिए ये जैसलमेर के लिए रवाना हुए। बताया गया है कि पाली जिले के सोजत में एक गिरोह सक्रिय है। यह गिरोह कलेक्टर की आईडी से फर्जी पास जारी कर रहा है। इसके लिए मोटी रकम वसूल की जाती है। बस की प्रत्येक सीट के लिए अलग-अलग पास जारी किए गए।