आईआईटी जोधपुर बनाएगा भारत के हरित ऊर्जा भविष्य को सशक्त

  • -हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर
  • भाप्रौसं जोधपुर की अगुवाई में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत $1-3 प्रति किलोग्राम में हरित हाइड्रोजन उत्पादन हेतु रोडमैप तैयार
  • राजस्थान की नवीकरणीय ऊर्जा नीति के तहत 60,000 से अधिक रोजगार
  • हरित पर्यटन और नेट ज़ीरो लक्ष्य को मिलेगी बड़ी गति

जोधपुर(डीडीन्यूज),आईआईटी जोधपुर बनाएगा भारत के हरित ऊर्जा भविष्य को सशक्त।भाप्रौसं जोधपुर द्वारा प्रायोजित सेक्शन 8 कंपनी,जेएचवी इनोवेशन फाउंडेशन ने उत्तर भारत के पहले ग्रीन हाइड्रोजन हब जोधपुर हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर (JHVIC) को आगे बढ़ाने हेतु एक उच्चस्तरीय स्टेकहोल्डर्स मीट आयोजित की गई।
इस बैठक की अध्यक्षता आईआईटी जोधपुर के निदेशक और जेएचवी इनोवेशन फाउंडेशन के चेयरमैन प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल ने की,जबकि राजस्थान सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव एवं आयुक्त वी.सरवणा कुमार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

इस क्लस्टर का उद्देश्य है $1-3 प्रति किलोग्राम की दर से हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना,जो नवीन तकनीकों और प्रभावशाली नीतिगत समर्थन से संभव होगा। यह पहल राजस्थान को ग्रीन हाइड्रोजन नवाचार में राष्ट्रीय अग्रणी बनाएगी, जिससे वर्ष 2030 तक 60,000 नौकरियों का सृजन,हरित पर्यटन को बढ़ावा,निर्यात में मजबूती और भारत के नेट ज़ीरो व आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को बल मिलेगा।
आईआईटी जोधपुर और राजस्थान सरकार के बीच ‘राइजिंग राजस्थान समिट’ में पहले ही एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हो चुके हैं,जिसके तहत आईआईटी जोधपुर परिसर में नवीकरणीय ऊर्जा से हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा।

बैठक में उद्योग जगत और शैक्षणिक संस्थानों जैसे वेयरई,एनटीपीसी,इंच एनवायरो,एजीपी प्रथम,सेप्रेक्स, न्यूबर्ग,अर्न्स्ट एंड यंग,सेलेगेंट, इंगरसोल,बीआईटीएस पिलानी,भा. प्रौसं गांधीनगर,भाप्रौसं दिल्ली और भाप्रौसं भुवनेश्वर के प्रतिनिधियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस दौरान राज्य सरकार के समर्थन की अहम भूमिका पर विशेष बल दिया गया। जोधपुर हाइड्रोजन वैली इनोवेशन क्लस्टर भारत के उत्तरी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है और यह देश के चार चयनित ग्रीन हाइड्रोजन क्लस्टर्स में से एक है। अन्य क्लस्टर्स भुवनेश्वर (पूर्व),पुणे (पश्चिम) और केरल (दक्षिण) में हैं।

दो ट्रेनों के ठहराव की अवधि में विस्तार

इस क्लस्टर की रणनीति के तहत सालाना 350 टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन अपशिष्ट जल से किया जाएगा,जिसमें क्षारीय जल इलेक्ट्रोलाइज़र और सौर ऊर्जा (Solar PV) का उपयोग किया जाएगा,साथ ही 15 टन सालाना जैवमास (biomass) से हाइड्रोजन तैयार होगी।यह हाइड्रोजन परिवहन, उद्योगों के लिए अमोनिया उत्पादन और सिटी गैस वितरण नेटवर्क में मिश्रण के रूप में प्रयोग होगी।

सभी हितधारकों ने सर्वसम्मति से इस परियोजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए राजस्थान सरकार से निरंतर लॉजिस्टिक सहयोग और वित्तीय सहायता की आवश्यकता पर बल दिया,ताकि ₹205 करोड़ की अनुमानित लागत, जिसमें संचालन,रखरखाव और अनुसंधान एवं नवाचार (R&D) शामिल हैं,को आगामी पांच वर्षों में पूरा किया जा सके। बैठक का समापन प्रस्तावित हाइड्रोजन वैली परियोजना स्थल के दौरे और साइट विकास को राजस्थान की अग्रगामी नवीकरणीय ऊर्जा नीतियों के अनुरूप तेज़ी से आगे बढ़ाने हेतु विस्तृत चर्चा के साथ हुआ।