जोधपुर: बिलाड़ा के तालाब बने पक्षियों के शरणस्थल

  • वन्दे गंगा जल संरक्षण अभियान
  • राजस्थान सरकार की जल संरक्षण नीति ला रही रंग
  • जलाशयों में गूंज रहा पक्षियों का कलरव
  • बिलाड़ा के पारंपरिक जल स्रोतों में प्रकृति दे रही दस्तक

जोधपुर/बिलाड़ा (डीडीन्यूज), जोधपुर: बिलाड़ा के तालाब बने पक्षियों के शरणस्थल। राजस्थान सरकार की जल संरक्षण पर आधारित दूरदर्शी नीतियों और प्रशासन की सक्रियता ने बिलाड़ा क्षेत्र के पारंपरिक जल स्रोतों को न केवल संजीवनी दी है,बल्कि इन्हें जीवविविधता के केंद्र में बदल दिया है। रामासनी और ओलवी के तालाब,नीलकंठ महादेव सरोवर, कापरडा तालाब,चंदेलाओ तालाब और आसपास के खेत आज प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए एक सुरक्षित,समृद्ध और सुंदर आवास बन चुके हैं।

हर साल सेंट्रल एशिया,मंगोलिया जैसे दूरस्थ देशों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर आने वाले 10 से 12 हजार पक्षी यहां शीत कालीन प्रवास पर आते हैं।
ईथोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया की संयुक्त सचिव प्रो.रेणु कोहली बताती हैं कि क्षेत्र में 100 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पंजीकृत हैं। इनमें नॉर्दर्न पिंटेल,स्पॉट-बिल्ड डक,कॉमन टील,ग्रे लग गूज, पैलिकन,शिकरा,मार्श हैरियर और दुर्लभ लाल कलगीदार पोचार्ड जैसी अनेक प्रजातियां शामिल हैं।

प्राकृतिक भोजन,शांत वातावरण और संरक्षण बना पक्षियों की पसंद
ओलवी और रामासनी के तालाब पक्षियों को न केवल पानी बल्कि प्रचुर मात्रा में जलीय वनस्पति और कीट प्रदान करते हैं,जो इनके भोजन का मुख्य स्रोत हैं। यहाँ बारहेडेड गीज़,ग्रेलग गूज,नॉर्दर्न शॉवेलर जैसे जलपक्षियों की बड़ी संख्या देखने को मिलती है।ओलवी तालाब पर रफ का 1000 से अधिक पक्षियों का झुंड देखा गया है।

स्थानीय प्रशासन द्वारा जलाशयों की सफाई,वर्षाजल संग्रहण की सतत व्यवस्था और अतिक्रमण रोकने के प्रयासों ने इन पारंपरिक जल स्त्रोतों की गुणवत्ता बनाए रखी है,जिससे इन पक्षियों को एक सुरक्षित वातावरण मिल सका है।

सैंडग्राउज का रहस्यमय स्नान,पंखों में पानी भर कर 20 किमी उड़ान
सबसे आकर्षक पक्षी में से एक है नर सैंडग्राउज,जो अपने बच्चों के लिए पंखों में पानी भरकर 20 किलोमीटर तक उड़ता है। प्रो. कोहली बताती हैं कि इसके शरीर के निचले पंख विशेष रचना के होते हैं जो पानी सोख सकते हैं। एक बार में लगभग 25 मिलीलीटर यह पक्षी जलाशय में पंखों को डुबोकर पानी भरता है और फिर घोंसले में जाकर चूजों को पंखों से पानी पिलाता है। इस बार ओलवी तालाब पर सैंडग्राउज की असाधारण संख्या दर्ज की गई है। जो पक्षी पहले कभी-कभार दिखते थे,अब झुंड के झुंड में नजर आ रहे हैं,यह जल संरक्षण और जैव विविधता के बीच का जीवंत रिश्ता दर्शाता है।

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सरकार की पहल और प्रशासन का प्रयास,संरक्षण की मिसाल
राज्य सरकार द्वारा जल जीवन मिशन,अमृत सरोवर योजना और जलाशयों के पुनर्जीवन की दिशा में उठाए गए कदमों के फलस्वरूप बिलाड़ा क्षेत्र के पारंपरिक जल स्रोत आज केवल पानी के भंडार नहीं, बल्कि जैविक विविधता के केंद्र बन गए हैं। सरपंच अशोक बिश्नोई के अनुसार,कुछ संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने तथा प्रशासन और स्थानीय लोगों के समर्पण ने इन जलाशयों को एक नई पहचान दी है।

प्रकृति,परंपरा और प्रयासों का संगम
उपखंड अधिकारी बिलाड़ा मृदुला शेखावत ने बताया कि क्षेत्र के ये तालाब केवल पानी के स्रोत नहीं, बल्कि जीव-जगत के लिए जीवन दायिनी नदियों जैसे बन चुके हैं। यह उदाहरण है कि जब सरकारी नीतियाँ,स्थानीय प्रशासन और समुदाय साथ मिलकर काम करें,तो परंपरागत संसाधन कैसे नए जीवन का आधार बन सकते हैं।

मृदुला शेखावत ने कहा कि इन जलाशयों में गूंजते पक्षियों के कलरव के साथ राजस्थान सरकार की जलदृष्टि की गूंज भी सुनाई देती है,जो भविष्य को हरा-भरा बनाने की ओर एक मजबूत कदम है।