आईआईटी जोधपुर में थ्राइव- 2025 शुरू

  • थार क्षेत्र में सतत परिवर्तन की दिशा में अग्रणी होने का अभिनव सहयोग
  • उद्यमशीलता की भावना और तकनीकी उन्नति को शुष्क परिदृश्यों के भविष्य को आगे बढ़ाने का उद्देश्य

जोधपुर(डीडीन्यूज),आईआईटी जोधपुर में थ्राइव- 2025 शुरू।
आईआईटी जोधपुर में बुधवार को थ्राइव 2025 की शुरुआत के प्रथम दिन स्टार्टअप,इनोवेशन और सतत विकास के लिए उद्यमिता के माध्यम से थार पारिस्थितिकी तंत्र को बदलना,नवाचार,उद्यमिता और सतत समाधानों के माध्यम से थार क्षेत्र को बदलने के एक शक्तिशाली दृष्टिकोण के साथ हुआ।

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इस कार्यक्रम में शिक्षा,उद्योग और सरकार के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को एक मंच पर लाया गया ताकि एक लचीले,टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक रास्ता तैयार किया जा सके। आईआईटी जोधपुर निदेशक प्रो. अविनाश के.अग्रवाल ने प्रभावशाली,स्टार्टअप-संचालित पहलों को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की।

प्रो.अग्रवाल ने कहा थ्राइव 2025 नवाचार,उद्यमिता और टिकाऊ समाधानों के माध्यम से थार क्षेत्र को बदलने की दिशा में एक कदम है। अक्षय ऊर्जा,जल सुरक्षा,जलवायु लचीलापन और डिजिटल परिवर्तन में स्टार्टअप-संचालित पहलों को बढ़ावा देकर,हमारा लक्ष्य टिकाऊ भविष्य के लिए चुनौतियों को अवसरों में बदलना है।

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के अध्यक्ष पद्मश्री प्रो.आशुतोष शर्मा ने उद्योग,सरकार और वैज्ञानिक नवाचार के बीच महत्वपूर्ण अंतर्सम्बन्ध पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा थ्राइव 2025 थार पारिस्थितिकी क्षेत्र को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए हमें सही नीतियों,उद्योग सहयोग,उद्यमशीलता की भावना, सरकारी सहायता और वैज्ञानिक नवाचार की आवश्यकता है। यह मंच एक विस्तृत और समृद्ध भविष्य के लिए स्टार्टअप,नवाचारों और उद्यमशीलता का लाभ उठाने के अवसर पैदा करेगा।

नीति आयोग के सदस्य और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विजय कुमार सारस्वत ने क्षेत्र की क्षमता को उजागर करने के लिए प्रौद्योगिकी,अनुसंधान और उद्यमिता के सम्मिश्रण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा थार क्षेत्र को बदलने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के तालमेल की आवश्यकता है। थ्राइव 2025 स्थायी ऊर्जा,जल सुरक्षा और लचीले बुनियादी ढांचे के माध्यम से क्षेत्र की क्षमता का दोहन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अत्याधुनिक अनुसंधान और औद्योगिक सहयोग का लाभ उठाकर,हम चुनौतियों को अवसरों में बदल सकते हैं और थार के शुष्क क्षेत्रों में सतत विकास के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित कर सकते हैं। यहां प्रदर्शित सौर ऊर्जा से चलने वाले माइक्रोग्रिड,अभिनव जल संचयन प्रणाली और जलवायु लचीले बुनियादी ढांचे का सफल कार्यान्वयन दर्शाता है कि कैसे प्रौद्योगिकी और उद्यमिता समुदायों का उत्थान कर सकती है और स्थायी सामाजिक,आर्थिक प्रभाव पैदा कर सकती है।

इस कार्यक्रम में एक ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किया गया जिसमें डॉ. सारस्वत ने विस्तार से बताया कि किस तरह तकनीकी प्रगति शुष्क भू-भाग में क्रांति ला सकती है। दृश्य प्रस्तुतियों के साथ उन्होंने रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्रों तथा वातावरण के लिए अक्षय ऊर्जा प्रणालियों, जल संरक्षण परियोजनाओं और बुनियादी ढाँचे के नवाचारों के सफल मॉडल प्रदर्शित किए। प्रस्तुति द्वारा विचारों के गतिशील आदान-प्रदान को दर्शाया गया,जिसमें डॉ.सारस्वत के नवोन्मेषकों और उद्यमियों के साथ जुड़ाव को दर्शाया गया,जिसमें थार क्षेत्र के परिवर्तन को आगे बढ़ाने में युवा दिमागों की भूमिका पर जोर दिया गया।

सत्र के बाद प्रतिभागियों ने अक्षय ऊर्जा एकीकरण,उन्नत जल प्रबंधन प्रणाली,एआई-संचालित सटीक कृषि और शुष्क क्षेत्रों के लिए टिकाऊ शहरी नियोजन सहित विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में जीवंत चर्चा की। विचारशील अग्रणी उद्यमियों और शोधकर्ताओं ने इन समाधानों को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए सहयोगात्मक रूप से कार्रवाई योग्य मार्गों की खोज की। विचारों के आदान-प्रदान ने नई साझेदारियों को बढ़ावा दिया और एक लचीला,आत्मनिर्भर थार क्षेत्र बनाने के लिए साझा प्रतिबद्धता को मजबूत किया। पहले दिन का समापन दिशा और आशावाद की मजबूत भावना के साथ हुआ,जो थार क्षेत्र को संधारणीय नवाचार और उद्यमिता के एक संपन्न केंद्र में बदलने के सामूहिक संकल्प से प्रेरित था। वार्तालाप और सहयोग ने प्रभावशाली समाधानों के लिए आधार तैयार किया जो भविष में राजस्थान क्षेत्र के लिए एक उज्जवल,अधिक उन्नत भविष्य को आकार देंगे।