पर्यावरण के क्षेत्र में भारत विश्वगुरू बने-प्रो.राम गोपाल

ऐश्वर्या कॉलेज में पर्यावरणीय स्वास्थ्य संवर्धन में शिक्षा की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स आयोजित

जोधपुर(डीडीन्यूज),पर्यावरण के क्षेत्र में भारत विश्वगुरू बने-प्रो.राम गोपाल। पर्यावरण का संरक्षण आज के युग में वैश्विक समस्या है जिसे दूर करने के लिए प्रत्येक भारतीय को विशेष अवसरों पर पौधारोपण करके मनाया जाना चाहिए। प्रत्येक भारतीय पर्यावरण संरक्षण हेतु जिम्मेदारी से अपना योगदान दे, जिससे आने वाले समय में पर्यावरण संरक्षण में भारत विश्वगुरू बने। ये विचार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो.राम गोपाल ने ऐश्वर्या कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय क्रॉन्फ्रेन्स के उद्घाटन सत्र में चेयरपर्सन के रूप में व्यक्त किए।

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कॉन्फ्रेन्स की संयोजक डॉ मृदुला चाण्डा ने बताया कि पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में देश ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व में कई शोध हो रहे हैं। इस ज्वलन्त व अति महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के उद्देश्य से इस कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया है,जिसमें कुल 150 पंजीकरण हुआ।

इस अवसर पर जैव विविधता,तकनीक में हो रहे बदलाव,पर्यावरण संरक्षण एवं राष्ट्रीय चुनौतियों पर विभिन्न शिक्षाविदों एवं विषय विशेषज्ञों ने खुलकर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आफरी जोधपुर के निदेशक डॉ तरूण कान्त थे जबकि काजरी जोधपुर के वैज्ञानिक डॉ आरके गोयल,राजकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज जोधपुर के प्राचार्य डॉ नितिन राजवंशी तथा राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी कोटा के गणित विभाग़ के प्रोफेसर सुनील पुरोहित विशिष्ट अतिथि थे।

विधि संकाय की सहायक प्रोफेसर रूपाली बोहरा ने अतिथियों का परिचय देते हुए कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। कार्यक्रम का आरंभ सभी अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कॉलेज निदेशक भूपेन्द्र सिंह राठौड़,प्राचार्य डॉ ऋषि नेपालिया तथा सभी संकाय के विभागाध्यक्षों ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया।

कार्यक्रम में अपने स्वागत भाषण के दौरान प्राचार्य डॉ ऋषि नेपालिया ने सभी अतिथियों व शोधार्थियों का स्वागत करते हुए कॉन्फ्रेन्स के विषय के उद्देश्य व महत्व के बारे में बताया। इसके पश्चात संयोजक डॉ मृदृला चाण्डा ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। कॉमर्स व मैनेजमैन्ट विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ शिल्पा परिहार ने बताया कि हाइब्रिड मोड पर आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय क्रान्फ्रेन्स में कुल 4 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें ऑफलाइन व ऑनलाइन रिसर्च पेपर प्रेजेन्टेशन तथा पोस्टर प्रेजेन्टेशन होंगे।

आफरी जोधपुर के निदेशक व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ तरूण कान्त ने पर्यावरण संरक्षण के विषय में विचार व्यक्त हुए कहा कि मानव प्रकृति है कि वह प्रकृति से हमेशा बहुत सारे संसाधन लेता है परन्तु प्रकृति को वापस कुछ नही करता। हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रकृति को कुछ न कुछ ऐसा दें जिससे आने वाली पीढ़ी को कठिनाइयों का सामना नही करना पड़े।

काजरी जोधपुर के वैज्ञानिक डॉ आर के गोयल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण ऐसा विषय है जिसके सम्बन्ध में विद्यार्थियों को भी खुली चर्चा करनी चाहिए तथा इस विषय को गम्भीरता से लेना चाहिए। आरटीयू कोटा के प्रो सुनील पुरोहित ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य संवर्धन की महत्ता और अनिवार्यता को कई उदाहरणों से समझाया। उन्होंने गुरूकुल शिक्षा प्रणाली का उदाहरण लेते हुए कहा कि वैदिक काल में गुरूकुल शिक्षा प्रणाली पर्यावरण को पूर्णतः संर्वधन करने की ओर एक अहम चरण था।

राजकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य डॉ नितिन राजवंशी ने ई-वेस्ट के निस्तारण की समस्या का उदाहरण लेते हुए पर्यावरण संरक्षण हेतु राज्य एवं केन्द्र सरकार तथा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किये जा रहे कार्यों की चर्चा करते हुए शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों से विभिन्न तकनीकों का प्रयोग करते हुए इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु प्रेरित किया।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में तकनीकी सत्र संपन्न हुआ जिसमें राजस्थान एवं बाहरी राज्यों से आए हुए छात्रों, व्याख्याताओं, शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक भूपेन्द्र राठौड़ ने कहा कि कॉलेज में समय समय पर राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार व कॉन्क्रेन्स आयोजित करवाये जाते हैं जिससे शोधकर्ताओं को विभिन्न विषयों पर चर्चा करने हेतु मंच प्रदान किया जा सके।

उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित समस्त प्रतिभागियों को बधाई देते हुए मानवीय विकास एवं पर्यावरण संवर्धन के लिए नये शोध करने का आह्वान किया। विधि संकाय की सहायक प्रोफेसर अमिता परिहार ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन वाणिज्य संकाय के विभागाध्यक्ष बसन्त कल्ला ने किया।