12 साल पहले फलोदी के खींचन में हुई मुनीम के हत्यारों को पकड़ा
- ऑपरेशन ललन टॉप
- पुलिस के अदम्य साहस की कहानी
- पुलिस को बनना पड़ा मजदूर,चरवाहा
- दो माह से चल रहा था अभियान
- हत्यारों को बापर्दा गिरफ्तार किया गया
- आधा दर्जन केसे आए सामने
- अपराध की दुनिया में कहानी फिल्मी सी
जोधपुर,12 साल पहले फलोदी के खींचन में हुई मुनीम के हत्यारों को पकड़ा।जोधपुर रेंज पुलिस ने फलोदी के खींचन गांव में 12 साल पहले एक फैक्ट्री मुनीम की हत्या करने वाले अपराधियों को पकडऩे में सफलता हासिल की है। दो माह से पुलिस का सर्च अभियान चल रहा था,आखिरकार अपराधी कानून के हाथ से बच नहीं पाए और हत्थे चढ़ गए। अपराधियों को पकडऩे के लिए पुलिस को कई रूप अपनाने पड़े। पुलिस मजदूर बनकर,चरवाह बनकर तेलंगाना,पंजाब और उड़ीसा में रही। लगतार प्रयासों के बाद पुलिस को कुछ सुराग मिले और अपराधियों के गिरेबान तक पहुंची। अपराधियों की कहानी भी कुछ कुछ फिल्मों जैसी बनी है। किस तरह वे अपराध के दलदल में आ गए। जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने पकड़े गए अपराधियों के नाम पर इसको ऑपरेशन ललन टॉप नाम दिया है।
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आईजी विकास कुमार ने पत्रकार वार्ता में बताया कि जोधपुर के तत्कालीन फलोदी कस्बे के खींचन गांव में 15 दिसम्बर 2012 में सोनामुखी नाम की एक फैक्ट्री में मुनीम कोजाराम की हत्या कर दी गई थी। उसका शव फैक्ट्री में ही बोरों के नीचे दबा मिला था। हत्या के दो दिन बाद मुनीम कोजाराम का शव मिला था। मगर पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि अपराध करने वालों का न तो नाम पता और न ही कोई मोबाइल नंबर इत्यादि थे। इस केस को देखते हुए जोधपुर रेंज स्तर पर एक दर्जन पुलिस कर्मियों की टीम का गठन किया गया।
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अपराधियों के तेलंगाना,पंजाब और उड़ीसा होने का अंदेशा था। ऐसे में पुलिस की टीम को पिछले दो माह से लगा रखा था। पुलिस वहां पर चरवाह,मजदूर आदि बनकर रही। आखिरकार सफलता हासिल करते हुए तीन हत्यारों लालदेव,उदय एवं नरेश नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया है। इनके नाम के हिसाब से ललन और टॉप यानी तेलंगाना, ओडिसा एवं पंजाब नाम दिया गया। इसलिए इस ऑपरेशन का नाम ललन टॉप दिया गया।
ऐसे की थी हत्या
चूंकि दो आरोपी सगे भाई हैं और एक रिश्तेदार है। यह लोग जोधपुर के तत्कालीन फलोदी कस्बा स्थित खींचन में एक सोनामुखी फैक्ट्री में काम करते थे। जहां पर मुनीम कोजा राम को रोजाना लाखों रुपयों के साथ देखते थे। ऐसे में उन्हें अपने सपने पूरे करने के लिए रुपयों की जरूरत थी तो उन्होंने मुनीम से दोस्ती शुरू कर दिया। फिर 15 दिसम्बर 2012 के आसपास मुनीम के साथ बैठकर शराब पी और एक ने मुनीम के हाथ पकड़े दूसरे ने पैर और तीसरे में मुंह में कपड़ा ठूंस कर हत्या कर दी। मुनीम की जेब से चाबी निकाल कर डेढ़ लाख रुपए लूटे। उन्हें अंदेशा था कि तकरीबन दस लाख तक हाथ लग सकते हैं मगर ऐसा नहीं हुआ। इतने कम रुपयों से उनका सपना भी पूरा होता नहीं दिखा। इनके 40-50 हजार प्रति के हिस्से मेें आए। फिर यह लोग जोधपुर छोडक़र भाग गए।
देश भर में ठिकाने बदलते और नक्सलियों के लिए करते काम
यहां पर मर्डर करने के बाद यह लोग देश भर के कई हिस्सों पंजाब, हरियाणा,कर्नाटका,ओडि़सा, तेलंगाना आदि जगहों पर भेष बदलने के साथ मजदूरी करने लगे। मगर सबसे बड़ी बात है कि यह लोग अपने साथ मोबाइल आदि भी नहीं रखते थे। कभी एक साथ नहीं रहे। अलग-अलग दिशाओं में रहते थे।
ऑपरेशन व्यूह की रचना कर अपराधियों को पकड़ा
आईजी विकास कुमार ने बताया कि पुलिस के सामने उन्हें पकडऩा बड़ी चुनौती रही। इसके लिए पुलिस की त्रिवेणी अदम्य साहस,तकनीकि एवं मानवीय दृष्टकोण एवं ऑपरेशन व्यूह रचना कर तार जोड़ा गया। धीरे-धीरे जानकारी मिलती रही और आखिर में कामयाबी मिल गई।
चुनावी चर्चा में बोलने पर पुलिस का शक पुख्ता
पुलिस लगातार पता लगाने का प्रयास कर रही थी। तब बिहार के एक गांव में वहां पुलिस ने गांवों के बीच में चर्चा के समय चुनावी चर्चा का भी दौर होने पर वहां मौजूद युवक ने राजस्थान के फलोदी का सट्टा बाजार का जिक्र कर दिया। जिस पर पुलिस का शक पुख्ता हो गया। एक अन्य युवक जो मजदूरी कर रहा था और अपने बालों में मेहंदी लगा रहा था। तब उस युवक ने मेहंदी के नाम पर सोजत की मेहंदी का जिक्र कर डाला। ऐसे में पुलिस और पुख्ता हो गई कि इन्हीं लोगों का हाथ रहा है। पुलिस फिर भी धीरे- धीरे जानकारी जुटाती रही।ऑपरेशन को अंजाम देकर तीनों को एक साथ पकड़ लिया गया।
हत्यारे के सपने और फिल्मी कहानी से कम नहीं
हत्यारों में दो सगे भाई हैं और तीसरा इनका रिश्तेदार है। सगे भाई के पिता की मौत हो चुकी थी और रिश्तेदार की मां नहीं थी और वह सौतेली मां का शिकार था। इनके गांव में काफी जमीन थी। जो किसी योजना के तहत अधिग्रहित हो गई थी और बदले में रुपए मिलने वाले थे। मगर वह रुपए लोगों को नहीं मिले। घर चलाने और खुद का जीवन संवारने के लिए तीनों एक साथ नौकरियों की तलाश में लगे मगर कहीं नौकरियां भी नहीं लगी। देश के कई हिस्सों में घूमे। आखिर में जोधपुर के फलोदी क्षेत्र में खींचन में उन्हें सोनामुखी फैक्ट्री में नौकरी लगी मगर वहां भी दिन भर में पांच सौ रुपए से ज्यादा नहीं कमा पा रहे थे। ऐसे में उनके सपने पूरे होते नहीं दिख रहे थे। बाद में मुनीम पर नजर पडऩे पर उससे लाखों की रकम लूटने की योजना बनाई और मर्डर कर दिया। इसके बाद यह लोग अपराध की दुनिया में आ गए।
आधा दर्जन वारदातें कबूली
हत्या के आरोपियों लालदेव,उदय एवं नरेश ने देश भर में लूट,हत्या प्रयास, नक्सलियों का मदद करना सहित आधा दर्जन वारदातें करना स्वीकार किया है। अभी पूछताछ में देश के कई हिस्सों में हुई घटनाओं को लेकर भी पूछताछ की जाएगी।
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